प्रेस नोट: 3 जून 2019, केन्दुवाल कचरा डंप के पास रह रहे परिवार को हाईकोर्ट से राहत की आश प्रभावित परिवार के पुनर्वास पर हो विचार: उच्च न्यायालय ने दिये आदेश

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प्रेस नोट: 3 जून 2019, केन्दुवाल कचरा डंप के पास रह रहे परिवार को हाईकोर्ट से राहत की आश
प्रभावित परिवार के पुनर्वास पर हो विचार: उच्च न्यायालय ने दिये आदेश

माननीय उच्च न्यायालय ने 21 मई 2019 को बद्दी-बरोटिवाला-नालागढ़ विकास प्राधिकरण ( बीबीएनडीए) प्रशासन को केन्दुवाल कचरा डंप के पास रह रहे परिवार को दूसरी जगह बसाने (पुर्नवास) के बारे में कार्यवाही के लिए आदेश जारी किये। माननीय उच्च  न्यायालय ने यह आदेश बद्दी नगर के पास केन्दुवाल कचरा डंप के प्रदूषण से त्रस्त परिवार कि याचिका कि सुनवाई के दौरान दिया। 2016 से नगर निगम, बद्दी द्वारा शहर का कचरा केन्दुवाल गांव में खुले में फेंका जा रहा है। हालांकि इस जगह पर कचरा प्रबंधन सुविधा का निर्माण बीबीएनडीए द्वारा किया जाना था जिसके लिए बीबीएनडीए को 2015 में पर्यावरण मंज़ूरी भी मिली थी. परन्तु पिछले तीन साल में कम से कम 500 टन कचरा  इस जगह पर खुले में फेंका गया जिससे  केन्दुवाल और मलपुर गाँव के निवासी त्रस्त हैं. यह पर्यावरण मंज़ूरी के नियमों और शर्तों का खुला उलंघन होने के इलावा ठोस कचरा प्रबंधन के 2016 में पारित नियमों का भी उलंघन है. इन नियमों के अनुसार कोई भी कूड़ा प्रबंधन संयंत्र अथवा लैंडफिल किसी भी रिहाइश की जगह से कम से कम 200 मीटर की दूरी पर होना चाहिए तथा नदी के बाढ़-तट से 100 मीटर की दूरी पर – बद्दी कचरा डंप यह दोनों ही नियमों का उलंघन करता है क्यों की यहाँ एक परिवार का घर 30 मीटर की दूरी पर है और यह डंप सिरसा नदी के बाढ़ तट पर ही स्थित है.

 “कचरा डंप के पास रह रहा गुज्जर परिवार पशुपालन करके अपनी आजीविका चलाता है।  प्रशासन द्वारा कचरे को डंप करने से पहले ही इस परिवार को दूसरी जगह पुर्नवासित किया जाना चाहिये था लेकिन बीबीएनडीए ने इस परिवार को दूसरी सुरक्षित जगह पर बसाने को कभी अपनी प्राथमिकता ही नहीं मानी जो की कानूनी रूप से भी गलत है । 2016 से इस जगह पर पूरे इलाके का कचरा अवैज्ञानिक तरीके से डंप किया जा रहा है जिसकी वजह से आस-पास के लोगों को भी स्वास्थ्य सम्बंधित मुश्किलों को झेलना पड़ रहा है और कई बार तो इलाके के पशु भी बिमार हो के मर चुके हैं” हिमधरा पर्यावरण समुह, जो प्रदेश में पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों पर कार्यरत है, के रामनाथन ने बताया।  मजबूर हो कर प्रभावित परिवार को उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाना पडा जब स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग इन कानूनी उलन्घनों पर कोई कार्यवाही करने में विफल रहे. हालांकि याचिका सित्तम्बर 2018 में दायर की गयी थी, इस बीच कोर्ट का ध्यान कचरे की समस्या को निदान करने पर रहा. 21 मई को याचिकाकर्ता के वकील श्री देवेन खन्ना ने फिर से प्रभावित परिवार के मुद्दे पर बात रखते हुए पुनर्वास की मांग की.

 प्रभावित परिवार के सदस्य बशीर का कहना है “कोर्ट का निर्देश हमारे लिए सकारात्मक है और. पिछले कुछ दिनों से कचरे डंप में निर्माण कार्य की वजह से हमारे घर को जाने वाला मात्र एक रास्ता बन्द हो गया है। हम ना ही अपने पशुओं को चराने के लिये ले जा पा रहे हैं और ना ही दूध बेचने के लिये जा पा रहे हैं. कोर्ट का यह निर्णय कम से कम कुछ राहत मिलने की आशा जगाता है. हमारी मांग है की मूलभूत सुविधाओं के साथ हमारा पुनर्वास किया जाये”.  बद्दी बरोटिवाला नालागढ़ क्षेत्र में कचरे के निपटारन की व्यवस्था सम्बन्धित अधिकारियों के अपने दायित्वों के प्रति अनदेखी का एक उदाहरण है। और जहां तक कूड़े के प्रबंधन का सवाल है यही स्थित्ति पूरे राज्य की है. अब शिमला उच्चन्यायालय, अलग अलग मुकद्दमों में, न केवल बद्दी बल्कि पूरे राज्य की कचरा प्रबंधन योजनाओं के क्रियान्यवयन की निगरानी कर रहा है. “एक नज़रिए से यह सकारात्मक मना जा सकता है परन्तु यह चिंताजनक है की जो काम प्रशासनिक विभागों और सरकारी अधिकारियों को करना चाहिए वो काम न्यायालय को करना पड़ रहा है”, हिमधरा समूह के ही सुमित महर का कहना था.

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Press Note: 3 June 2019

Consider relocating residents affected by garbage Dump: Shimla High Court
Relief at last for family affected by Baddi’s garbage dump?

 In an ongoing case (CWP 2369/2018) filed in relation to the garbage dump at Kenduwal Baddi, the Shimla High Court has recently directed the responsible authorities to consider relocating the affected family residing near the dump. The case was filed by a member of the family of 32, who approached the court distressed, by the municipal garbage spread over an area of 1 hectare in village Kenduwal right in front of their residence. The court in its orders since September 2018 had focussed mostly on the proper collection and management of the municipal waste by the Baddi Barotiwala Nalagarh Development Authority (BBNDA), the Municipal Corporation of Baddi and the urban development department.

While the waste management issue in Baddi, is yet to be streamlined, in terms of segregation at source, proper collection as well as scientific and legal disposal of the waste, for the past 3 years the villages in the vicinity of the plant have been suffering due to the unscientific and open dumping of waste amounting to almost 500 tonnes at the time the court was approached in September last year. The BBNDA was given an environment clearance for developing an Integrated Solid Waste management Plant at the site in Kenduwal village of Malpur panchayat way back in 2015. However, no ISWM plant has been constructed on the site as required. “This is a complete violation of the conditions of the Environment Clearance as well as the Solid Waste Management Rules 2016. It is clearly specified in the SWM rules that any landfill or ISWM site should be at least 200 metres away from human habitation and it should not be on floodplain. However, the site at Kenduwal village violates both the above conditions considering that a family had been residing less than 30 metres from the site and the dump is on the floodplain of the Sirsa river.

The affected family belongs to the Gujjar community, practicing their traditional livelihood of cattle rearing. They have been living in miserable conditions for the last 3 years affected by the smell, the flies and the constant movement of garbage trucks from the path that leads to their house. “Ideally speaking, and even as per the law the family should have been offered a rehabilitation package at the time the project was planned and approved. But relocating the residence of the family has never been a priority for BBNDA”. according to Ramanathan of Himdhara Collective, an environmental watchdog, that has been tracking the impacts of poor waste management in the State.

He added, “Not only did the authorities allow the operation of an illegal dumping site, but they have been insensitive in responding to the repeated submissions by affected people”. While the court has not yet passed any orders about the wilful negligence of duty by the authorities in the disposal of waste, in the recent hearing of 21st May, Deven Khanna, advocate representing the petitioner pushed forward the concerns of the petitioner which had not been adequately addressed by the court earlier.

“Recently the authorities started the construction work for a shed which blocks the only path which leads to our home. We are unable to take out the cattle for grazing and also not able to move our vehicles for our daily milk distribution and sale. The Court’s order for relocation will definitely provide us some relief, and we hope that we are, as required by the law provided a proper resettlement package including costs of construction of a new house with electricity and water connection, so that we are able to get our life back on track”, said Basheer, one of the members of the affected family.

The Baddi case is a classic example of the poor state of waste management in Himachal. The Shimla High court is now monitoring the implementation of Solid Waste Management Plans not just in Baddi but for the entire state. “What should have been the prerogative of the executive is now being fulfilled by the court. This is unfortunate”, added Sumit Mahar of Himdhara Collective.

Copy of High Court Order

Media Coverage

The Tribune

Divy Himachal

Post Author: Admin