सिरमौर वन अधिकार मंच और चंबा वन अधिकार मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा वन अधिकार कानून 2006 के लिए जन जागरण अभियान

वन अधिकार कानून, 2006 के बारे में जानकारी आम जनता तक पन्हुचाने के लिए सिरमौर वन अधिकार मंच और चंबा वन अधिकार मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा फरवरी- मार्च में जन जागरण अभियान चलाया गया।

सिरमौर वन अधिकार मंच द्वारा चलाई गयी प्रक्रिया के अंतर्गत शिलाई तहसील के कलोग, नाया पंजोर, अज्रोली और जसवी गांव में वन अधिकार कानून, 2006 को समझने व इस कानून के महत्व पर चर्चा करने हेतु बैठकों का आयोजन किया गया। बैठकों में इस कानून में निहित अधिकारों पर चर्चा के साथ दावा फॉर्म भरने की प्रक्रिया, वन अधिकार समिति की जिम्मेदारियों व निष्क्रियता को सुधारने पर बात हुई जिसके अंतर्गत जहाँ ज़रूरी लगता है वहां वन अधिकार समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया पर भी चर्चा हुई। इस कानून को समझने के बाद सभी ग्राम वासियों में जल्द से जल्द अपनी ज़मीन और जंगल के लिए दावा फॉर्म भरने व उससे सम्बंधित सरकारी दस्तावेजों को जमा करने कि पहल शुरू हो चुकी है।


गौरतलब है कि वन अधिकार कानून को आये 15 साल हो गये हैं लेकिन अभी तक भी जनता में इस कानून से सम्बंधित जागरूकता का बड़ा अभाव है। जिले से आज तक जितने दावे भरे भी गये हैं उनमे से एक भी जिला स्तरीय समिति (DLC) तक नही पहुंचा हैं और सालों से दावे SDLC के समक्ष लंबित हैं। इसलिए सिरमौर वन अधिकार मंच के सदस्यों द्वारा 22 फरवरी को उप मंडल अधिकारी, शिलाई व असिस्टेंट कमिश्नर सिरमौर से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में लिखित मुख्य मांगों में से (1) FRC नैना से प्राप्त 12 दावों पर 3 बार उप मंडल स्तरीय समिति (SDLC) द्वारा उठाई गयी आपत्तियों के जवाब देने व वन और रेवेन्यू अधिकारियों द्वारा मौके पर पहुँच कर अध्ययन रिपोर्ट SDLC तक पहुचाने के बावजूद निर्णय लंबित, (2) जनजातीय विभाग द्वारा प्रकाशित वन अधिकार कानून पर प्रशिक्षण पुस्तिका को जल्द से जल्द सभी FRCs तक पहुँचाना (3) निष्क्रिय FRCs का पुनर्गठन, (4) FRCs सदस्यों की ट्रेनिंग करवाना। इन सभी मांगो पर दोनों ही जगह सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।

चंबा वन अधिकार मंच द्वारा चंबा जिला की झुलड्डा, साहो- पद्दर, जडेरा, सराहन, चिलबोंगला पंचायतों व महेला ब्लॉक में वन अधिकार कानून की जानकारी को प्रसारित करने के लिए बैठकें की गयी। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे “प्रशासन जनता के द्वार” कार्यक्रम के साथ जुड़ कर पंचायत प्रतिनिधियों एवं वन अधिकार समितियों के सदस्यों के साथ वन अधिकार कानून 2006 के प्रावधानों की जानकारी साझा की गयी।

 

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